NEELAM GUPTA

Add To collaction

उतरने दो ।

कोरा कागज़

जिस समय जो भाव निकले।
उकरने दो उन्हे कागज़ पर।
कविता बने या कोई कहानी ।
सवरने दो उन्हे जज़्बातो पर।

स्वरूप मेरा बन कोरा कागज़।
रद्दी ना बन जाएँ कहीं।
उतरने दो दिल की बातों को ।
एक लहर जो विचारों की आएं कहीं।

कोई कशिश़ ना रह जाए।
मेरे मन के भावों की।
सजा दो एक सुन्दर तस्वीर।
जीवन के हालातों की।

बिखरे पड़े हैं जगह जगह।
नासूर मेरे दिलों दिमाग में ।
बायर में खुला छोड़ दो।
पीड़ा बन फुन्द ना बनने दो।

ज्यादा समय पड़े रहेंगे ।
सड़ने जिस्म में दुखदायी ये।
आहातो का दर्पण बन जाएगा।
हर किसी के सामने ये।

रंग लो जीवन खुशियों से।
फैलाकर हर्ष मन अपना।
ना बनाओ संगीन रातें अपनी।
संगीत भर दो दिन भर का।

चिड़िया की कवरल मोहक।
बच्चे की मुस्कान ।
नवविवाहिता का जीवन।
बिखेर दे नयी सुबह में नयी जान।

अलौकिक शक्ति प्रेम की।
तर्पण करदे सारा जीवन।
लिख कर एक प्रेम सुधा।
मधुशाला बनाओ अपना जीवन।

नारी जीवन की तकलीफ हो ।
या प्यार में सरोबार हो।
एक नज्म ख़ुशबू की।
लिख उसके नाम दो।

जो निरंतर प्रगतिशील है।
लेखन की कलम से।
धार वही तेज है।
जब शूल बनें कर्म से।

कर्म धर्म निरपेक्षता।
ना कोई रूकावट बन सकें।
काट दो सब जंजीरों को।
जो हाथ की बेड़ी बन जाएँ।

नीलम गुप्ता🌹🌹 (नजरिया )🌹🌹
दिल्ली 

   8
3 Comments

Aliya khan

06-Jun-2021 11:05 PM

बहुत सुन्दर

Reply

Kumawat Meenakshi Meera

06-Jun-2021 07:50 PM

Nice ,bahut achche shabd संयोजन,बहुत बढ़िया

Reply

Ravi Goyal

06-Jun-2021 07:42 PM

Bahut khoobsurat rachna 👌👌

Reply